न पीयें स्वीमिंग पूल का पानी, शरीर में पैदा होगा ये परजीवी

न पीयें स्वीमिंग पूल का पानी, शरीर में पैदा होगा ये परजीवी

आज कल लोग घर खरीदने से पहले ये देखते हैं कि संबंधित सोयायटी या कॉलोनी में स्वीमिंग पूल की सुविधा है या नहीं। गर्मियों में इन स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल भी लोग धड़ल्ले से करते हैं। मगर सावधान, स्वीमिंग पूल में तैरते या नहाते समय पूल का पानी गलती से भी पेट में चला जाए तो पेट की गंभीर बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है।

भले ही स्वीमिंग पूल का पानी कितना भी साफ और क्लोरीन मिला हुआ हो मगर हकीकत यही है कि इस पानी के पीने से शरीर में एक खतरनाक पारासाइट या कहें परजीवी ‘क्रिप्टोस्पोरिडियम’ या संक्षेप में कहें तो ‘क्रिप्टो’ के पनपने का खतरा पैदा होता है जो डायरिया या अन्य दूसरी पेट संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकता है। गर्मियों में इसका फैलाव ज्यादा होता है और बच्चे ही नहीं वयस्क भी बड़ी आसानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं। इसलिए स्वीमिंग पूल के पानी का इस्तेमाल तैरने के लिए ही हो तो अच्छा।

देश में डायरिया के मरीजों के ऊपर हुए एक अध्ययन के अनुसार उत्तर भारत में 1.3 फीसदी डायरिया के मरीज में यह परजीवी पाया गया। पूर्वी भारत खासकर बंगाल में 4.5 फीसदी डायरिया मरीज इस परजीवी से ग्रस्त से जबकि पश्चिम भारत में 5.5 और दक्षिण भारत में सबसे अधिक 13.1 फीसदी मरीजों में यह परजीवी पाया गया।

क्रिप्टो एक माइक्रोस्कोप के जरिये पकड़ में आने वाला परजीवी है जो कितने भी स्वस्‍थ्य वयस्क या बच्चे को बीमार कर सकता है। इसके कारण तेज पेट दर्द, उल्टी और दस्त शुरू हो जाता है जो कि तीन सप्ताह तक बना रह सकता है। यदि किसी स्वीमिंग पूल के पानी में एक बार क्रिप्टो पनप जाए तो यह तेजी से फैलता है।

इसका पनपना आसान है मगर इससे छुटकारा पाना आसान नहीं है। आज कल महानगरों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे वाटर स्पोर्ट्स पार्क के पानी में भी यह तेजी से फैलता है। यह पारासाइट बहुत अच्छी तरह क्लोरीन मिले पानी में भी 10 दिन तक जिंदा बचा रह सकता है और इससे संक्रमित पानी का सिर्फ एक घूंट किसी को बीमार बना सकता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष और देश के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के.के. अग्रवाल बताते हैं कि इस पारासाइट के कुछ प्रकार ऐसे होते हैं जो ज्यादा गंभीर बीमारी पैदा करते हैं। यह आंतों में समा कर उसकी दीवार से चिपक जाते हैं। ऐसा होने से शरीर में इस परजीवी की और कोशिकाएं बनने लगती हैं। समय के साथ यह बहुत अधिक संक्रामक हो जाती हैं। इस पारासाइट को समाप्त करना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि क्लोरीन आधारित अधिकांश संक्रामक रोधी दवाओं और फिल्टर के प्रति यह रेसिस्टेंट हो जाती है।

 इस परजीवी से पार पाने का एकमात्र तरीका यह है कि यदि किसी स्वीमिंग पूल या वाटर पार्क के पानी में इसका संक्रमण पाया जाए तो उस पूल और पार्क को पूरी तरह सील कर पानी में भारी मात्रा में क्लोरीन डालकर साफ किया जाए। जहां तक आम लोगों की बात है तो उनके लिए सबसे बेहतर यही है कि स्वीमिंग करते समय पूल का पानी शरीर में न जाए इसका खास ध्यान रखें।

स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल करने से पहले खुद भी टायलेट का इस्तेमाल करलें क्योंकि कई बार स्वीमिंग पूल का पानी तैराकों के मूत्र से भी संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा पूल का इस्तेमाल करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपका शरीर भी पूरी तरह साफ है। शरीर पर किसी तरह की गंदगी पूल को संक्रमित करने का सबसे आसान तरीका हो सकता है। यही प्रक्रिया बच्चों के साथ भी अपनाएं।

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